ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- श्रीमती सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है ---भाव अरपन तीन --गीत ...सुमन -८.. चलौ न टेड़ी चाल ....
सूधी चलतौ चाल रहे वो ,
चलै न टेड़ी चाल |
प्यादौ बनौ रहे जीवन भरि ,
चेहरा पै न मलाल |
टेड़ी चाल सीखि बनि जावै,
प्यादौ कबहूँ वजीर |
बड़े -बड़ेंन कौ दिल दहलाबै,
काँपैं साह-बजीर |
सत्ता वारे सूधी-साधी ,
जनता कौं न सताऔ |
सूधे मोहरा बनें न टेड़े ,
करिकें काम दिखाऔ |
नांहि तौ प्यादौ नाखुस है कें,
चलही जु टेड़ी चालि |
सब टेड़ेनि कों सूधौ करिदे,
सीखहु सूधी चालि |
ये जनता है सबही जानै,
को सूधौ को टेडौ |
बस गुपचुप देखिबै ही करै,
कब होजाय सवैरो |
पै यामिनि गहराबै गहरी ,
तौ ये होस संभारै |
बड़े बड़े दिग्गज-दिक्पालन ,
कों उलटौ करि डारै |
हर प्यादे कौं खुस रखिबौ ,
तौ , सबहि होंय खुसहाल |
प्यादौ सूधौ बनौ रहै, बस -
चलौ न टेड़ी चाल ||
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