सोमवार, 24 जून 2013

ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ....भाव अरपन ...आठ ..मुक्तक ..सुमन -१ व ७ ....डा श्याम गुप्त



            ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...  
              
                     मेरे शीघ्र प्रकाश्य  ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ  गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि  मेरे अन्य ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... .... 
        कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
         रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
                     ---   सुषमा गुप्ता 
प्रस्तुत है .....भाव अरपन .आठ ....मुक्तक ....सुमन -१ व१ ७  .....
 
 
     मुक्तक -सुमन १...

'जाके सर मोर मुकुट मेरो पति सोई '
दुरदसा लखि भजन की मीरा बहुत रोई |
मूढ़ मैं जानी न सत्ता होगी मोर-मुकुट कभी-
कहें  सत्ताधारी कों सब, मेरो पति सोई ||
 
मुक्तक--सुमन -६
 
दुःख कों जीतन कौ है याही एक उपाय ,
कै कबहुं कबहुं दुःख हूँ सिर ओढ़ो जाय |
दरद जीतिबे कौ है सचमुच याही मंतर,
कै दरद दिवानौ बनिकें जीयौ जाय ||

मंगलवार, 11 जून 2013

ब्रजबांसुरी की रचनाएँ ...भाव अरपन छः ....अतुकांत रचनायें ...सुमन-4 ..इतिहास और प्रगति....

ब्रजबांसुरी की रचनाएँ ...भाव अरपन छः ....अतुकांत रचनायें ...सुमन-४.इतिहास और प्रगति...

                                                

                                       



                      शीघ्र प्रकाश्य  ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ  गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि  मेरे अन्य ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... ....
        कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
         रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
                     ---  श्रीमती सुषमा गुप्ता 
प्रस्तुत है भाव अरपन छः  ...तुकांत रचनायें ...सुमन-४. ..     इतिहास और प्रगति..

हम काहे इतिहास की ओर देखें ,
पुरानन कों सुनें और सुनावें,
 काहे न आगें ही आगें कदम बढावें |
 इतिहास पढिवे और सोचिबे ते तौ ,
पुरातन पंथी रही जावेंगे |
हमारे प्रगतिवादी सखा -यही कहत रहत हैं ;
जो प्रगतिवाद  की धार में ही
बहत  रहत हैं

हमनै पूछौ-
जे प्रगति का होवै है ?
'जो आजु तक की गति है,
वाते आगें का नयी प्राप्ति है ,
प्रति-गति है |'
जो इतिहास कों नाहिं जानि पावैंगे 
अबलौं कौ अच्छौ बुरौ अनुभव 
नाहिं जानि पावैंगे,
तौ आगें कैसें सही कदम बढावैंगे 
अच्छौ बुरौ कैसें  समझि पावैंगे,
का किंकर्तव्यविमूढ़ नाहिं रहि जावेंगे |
जड़न कौं छोड़ पत्ता सींचन ते तौ ,
पेड़ हरौ नाहिं होवै है | 
बड़ेंन के अनुभव छोडि, कोऊ समाज-
प्रगति के पथ पै खड़ा नाहिं होवै है |

यदि बाराखडी ही भूलि जावेंगे 
तौ नए नए ग्रन्थ कैसें रचि  पावैंगे |
जो एक दुई तीनि ही नाहिं याद रहै 
तौ नित नयी खोजकैसें करि पावैंगे |
वाही भूलि कौं बेरि -बेरि दुहरावैंगे|
प्रगति की राह पै
कैसें खड़े होय पावैंगे ||

 

शुक्रवार, 7 जून 2013

ब्रजबांसुरी की रचनाएँ ...भाव अरपन छः ....अतुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ....

ब्रजबांसुरी की रचनाएँ ...भाव अरपन छः ....अतुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ....

                                                

                                       




            

          शीघ्र प्रकाश्य  ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ  गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नव गीत आदि  मेरे अन्य ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... ....
        कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
         रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
                     ---  श्रीमती सुषमा गुप्ता 
प्रस्तुत है भाव अरपन छः  ...तुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ...

     तस्वीर -१...
भारत उभरि रहौ है 
जग भरि  में सुपर पावर बनिकें;
खड़ो है रहौ है , 
बड़े बड़ेन के सामुनै, तनिकैं|
भारतवासी विदेशन में हू 
सत्ता सासन के सीस पै हैं ;
का भयौ जो वे-
वहीं के नागरिक है गए हैं ?
हम अपुनी परम्परा औ-
सांस्कृतिक निधि कौं,
करोड़नि डालर में निर्यात करि  रहे हैं |
भारत के कलाकार -
विदेशन में जमि कें आइटम दै रहे हैं |
हाँ फिल्मन की शूटिंग ,
अधिकतर विदेशन में होवै है , और-
भारतीय संस्कृति -
 विदेशी संस्कारनि में घुलिकें ,
विलीन होवै  है |
तौ का भयौ --
एन जी ओ और आतम विश्वास ते भरी भई,
हमारी युवा पीढी के कारन-
हमारौ विदेशी मुद्रा भंडार तौ,
अरबन में बढ़तु है |
कछू पावे के हितू-
कछू खौनौ तो पडतु है ||
   तस्वीर -२
चमकत भये आधे सच ,
विकास के ढोल में ,
पतन की सही बात कहत भये ,
सांचे दस्तावेज,
खोय गए हैं , और-
हम चमक-धमक देखि कें
मोदु मनाय  रहे हैं |

मित्तल नै आर्सेलर खरीद लयी ,
टाटा नै कोरस,
सुनीता नै जीतौ आसमान ,
और अम्बानी नै ,
जग भरि के सबते धनी कौ खिताब |

पर हम का ये बता पावैंगे,
देश कौं समुझाय पावैंगे, कै-
वे करोड़न भारतीय लोग ,
जो आजहू गरीबी रेखा के नीचैं हैं -
कब ऊपर आवैंगे ?

का.. कारनि के ढेर ,
फ्लाई-ओवरनि की भरमार ,
आर्सेलर या कोरस ,
या चढ़तु भयौ  शेयर बज़ार,
उनकौं, दो जून की रोटी ,
दै पावैंगे ||