यह समाचार जान कर निश्चय ही यह तथ्य सही ठहरता है कि इन सब सामाजिक बुराइयों का मूल कारण मानव आचरण है न कि स्त्री उत्प्रीणन आदि आदि...जब जिसका पक्ष भारी होजाता है वह दूसरे पर उत्प्रीणन करने लगता है ....
यह भी जानना चाहिए कि उपरोक्त चित्रित समाचार में जो
चर्च का कथन चिन्हांकित -----उसके भी गहन अर्थ हैं कि -- इस बहाने चर्च प्रचार करना चाहता है...
---- पिछली सदी से ही मेघालय में चर्च सक्रिय है ...काफी जनता ईसाई है परन्तु फिर भी चर्च के कथनानुसार नैतिक मूल्यों में गिरावट आरही है ...क्यों ...तो अब तक ...चर्च का रोल क्या रहा ..???
---अब तक चर्च क्या कर रहा था ...जो माताओं , महिलाओं को मान -मर्यादा के बारे में बताएगा .....भारतीय महिलाओं की मान -मर्यादा के बारे में चर्च को क्या पता .....
-----मातृ सत्तात्मकता में क्यों नर भ्रूण की ह्त्या होनी चाहिए ? ....यह सीधा सीधा
अनैतिकता का मामला है....