शम्मे जलने लगे आप ने क्या किया |
दिल मचलने लगे आप ने क्या किया |
अपनी मासूम दुनिया में खोये थे हम,
चाह में खोगये आपने क्या किया ।
अपनी राहों में थे हम, चले जारहे,
आप क्यों मिल गये आपने क्या किया ।
खुद की चाहत से दिल अपना आबाद था,
आस बन आ बसे, आपने क्या किया ।
जब खिलाये थे वो पुष्प चाहत के तो,
फ़ेर रुख चल दिये आपने क्या किया ।
साथ चलते हुए आप क्यों रुक गये,
क्यों कदम थक गये आप ने क्या किया ।
श्याम ,अब कौन चाहत का सिज़दा करे,
नाखुदा बन गये आपने क्या किया ॥
साहित्य की गुणवत्ता व हिन्दी भाषा की सर्वतोमुखी प्रगति के लिये समर्पित ----
सोमवार, 23 नवंबर 2009
मंगलवार, 17 नवंबर 2009
कतए ----
१.
ज़िन्दगी इक दर्द का समंदर है ,
जाने क्या-क्या इसके अन्दर है ,
कभी तूफां समेटे डराती है -
कभी एक पाकीज़ा मंजर है |
२.
खामोश पिघलतीं हैं शम्माएं ,
किसको कहें क्या बताएं ;
ख़ाक हो चुका जब परवाना,
दर्दे-दिल किसको सुनाएँ |
३.
रात और दिन के बीच उम्र खटती रही ,
उम्र बढ़ती रही याकि उम्र घटती रही ,
जिसने कभी भूलकर भी याद न किया श्याम,
उम्र भर उनकी याद में उम्र कटती रही |
४.
क्या वो पुरसुकूं लम्हा कभी आयेगा,
आयेगा तो शायद तभी आयेगा;
वक्त कह चुका होगा अपनी दास्ताँ ,
श्याम वो वेवक्त , वक्त आयेगा ||
ज़िन्दगी इक दर्द का समंदर है ,
जाने क्या-क्या इसके अन्दर है ,
कभी तूफां समेटे डराती है -
कभी एक पाकीज़ा मंजर है |
२.
खामोश पिघलतीं हैं शम्माएं ,
किसको कहें क्या बताएं ;
ख़ाक हो चुका जब परवाना,
दर्दे-दिल किसको सुनाएँ |
३.
रात और दिन के बीच उम्र खटती रही ,
उम्र बढ़ती रही याकि उम्र घटती रही ,
जिसने कभी भूलकर भी याद न किया श्याम,
उम्र भर उनकी याद में उम्र कटती रही |
४.
क्या वो पुरसुकूं लम्हा कभी आयेगा,
आयेगा तो शायद तभी आयेगा;
वक्त कह चुका होगा अपनी दास्ताँ ,
श्याम वो वेवक्त , वक्त आयेगा ||
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