ब्रजबांसुरी की रचनाएँ ...भाव अरपन छः ....अतुकांत रचनायें ...सुमन-१.. तस्वीर के दो रूप ....
चमकत भये आधे सच ,
विकास के ढोल में ,
पतन की सही बात कहत भये ,
सांचे दस्तावेज,
खोय गए हैं , और-
हम चमक-धमक देखि कें
मोदु मनाय रहे हैं |
मित्तल नै आर्सेलर खरीद लयी ,
टाटा नै कोरस,
सुनीता नै जीतौ आसमान ,
और अम्बानी नै ,
जग भरि के सबते धनी कौ खिताब |
पर हम का ये बता पावैंगे,
देश कौं समुझाय पावैंगे, कै-
वे करोड़न भारतीय लोग ,
जो आजहू गरीबी रेखा के नीचैं हैं -
कब ऊपर आवैंगे ?
का.. कारनि के ढेर ,
फ्लाई-ओवरनि की भरमार ,
आर्सेलर या कोरस ,
या चढ़तु भयौ शेयर बज़ार,
उनकौं, दो जून की रोटी ,
दै पावैंगे ||
विकास के ढोल में ,
पतन की सही बात कहत भये ,
सांचे दस्तावेज,
खोय गए हैं , और-
हम चमक-धमक देखि कें
मोदु मनाय रहे हैं |
मित्तल नै आर्सेलर खरीद लयी ,
टाटा नै कोरस,
सुनीता नै जीतौ आसमान ,
और अम्बानी नै ,
जग भरि के सबते धनी कौ खिताब |
पर हम का ये बता पावैंगे,
देश कौं समुझाय पावैंगे, कै-
वे करोड़न भारतीय लोग ,
जो आजहू गरीबी रेखा के नीचैं हैं -
कब ऊपर आवैंगे ?
का.. कारनि के ढेर ,
फ्लाई-ओवरनि की भरमार ,
आर्सेलर या कोरस ,
या चढ़तु भयौ शेयर बज़ार,
उनकौं, दो जून की रोटी ,
दै पावैंगे ||
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