ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन -सोरह --सवैया छंद -सुमन ३-श्याम सवैया छंद (ब)..जन्म मिले यदि.....
मेरे नवीनतम प्रकाशित ब्रजभाषा
काव्य संग्रह ..."
ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ
गीत,
ग़ज़ल,
पद,
दोहे,
घनाक्षरी,
सवैया,
श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नवगीत आदि मेरे ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में
प्रकाशित की जायंगी ... ....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhkXrYcAC_V9I3sAFD8HaYd2o6MClbS3wd-UvmfXU4xzVadtqLUqNzRyJPVvnXxPQm_4QA6IHZQ-A8CdjtuFyIbxdh232_MdzBDWeA1aiNZgbI9CwVQP_IsgWCP48AAqJWf3h_-6-e8us-i/s1600/%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%9C+%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%81%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B5%E0%A4%B0+%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0.png)
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का
संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है .....भाव-अरपन .. सोरह,,,सुमन ३-श्याम सवैया छंद...(वर्ण गणना ...छ पंक्तियाँ )...(ब)..जन्म मिले यदि.....
जन्म मिलै यदि मानुस कौ, तौ भारत भूमि वही अनुरागी |
पूत बड़े नेता कौं बनूँ, निज हित लगि देश की चिंता त्यागी |
पाहन ऊंचे मौल सजूँ, नित माया के दर्शन पाऊं सुभागी |
जो पसु हों तौ स्वान वही, मिले कोठी औ कार रहों बड़भागी |
काठ बनूँ तौ बनूँ कुर्सी, मिलि जावै मुराद मिले मन माँगी |
श्याम' जहै ठुकराऊं मिले, या फांसी या जेल सदा को हो दागी ||
वाहन हों तौ हीरो होंडा, चलें बाल-युवा सबही सुखरासी |
बास रहे दिल्ली -बैंगलूर, न चाहूँ अजुध्या मथुरा न कासी |
चाकरी प्रथम किलास मिले, सत्ता के मद में चूर नसा सी |
पत्नी मिलै संभारै दोऊ, घर-चाकरी बात न टारै ज़रा सी |
श्याम' मिलै बँगला-गाडी, औ दान-दहेज़ प्रचुर धन रासी |
जौ कवि हों तौ बसों लखनऊ, हर्षावै गीत-अगीत विधा सी ||
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें