श्याम स्मृति---- हरि अनंत हरि कथा अनंता .....
---------हरि अनंत हैं और सृष्टि अनंत हैं | इस अनंतता के वर्णन में कोई भी सक्षम नहीं है | परन्तु मन-मानस में मनन/अनुभूति रूपी जो अनंत प्रवाह उद्भूत होते रहते हैं वे विचार रूपी अनंत ब्रहम का सृजन करते हैं|
--------जब एक अनंत स्वयं अनंत के बारे में अनंत समय तक अनंत प्रकार से मनन करता है तो स्मृतियों की संरचना होती है और सृष्टि की संरचना होने लगती है |
-------इस अनंत सृष्टि के वर्णन का प्रत्येक मन अपनी अपनी भाँति से प्रयत्न करता है तो अनंत स्मृतियों की सृष्टि होती है | दर्शन, धर्म, मनोविज्ञान, विज्ञान इन्हीं मनन-चिंतन आदि के प्रतिफल हैं| सब कुछ उसी अनंत से उद्भूत है और उसी में समाहित होजाता है |
------इस प्रक्रिया के मध्य विचार, ज्ञान व कर्म का जो चक्र है वह सृष्टि है संसार है, जीवन है |
---------हरि अनंत हैं और सृष्टि अनंत हैं | इस अनंतता के वर्णन में कोई भी सक्षम नहीं है | परन्तु मन-मानस में मनन/अनुभूति रूपी जो अनंत प्रवाह उद्भूत होते रहते हैं वे विचार रूपी अनंत ब्रहम का सृजन करते हैं|
--------जब एक अनंत स्वयं अनंत के बारे में अनंत समय तक अनंत प्रकार से मनन करता है तो स्मृतियों की संरचना होती है और सृष्टि की संरचना होने लगती है |
-------इस अनंत सृष्टि के वर्णन का प्रत्येक मन अपनी अपनी भाँति से प्रयत्न करता है तो अनंत स्मृतियों की सृष्टि होती है | दर्शन, धर्म, मनोविज्ञान, विज्ञान इन्हीं मनन-चिंतन आदि के प्रतिफल हैं| सब कुछ उसी अनंत से उद्भूत है और उसी में समाहित होजाता है |
------इस प्रक्रिया के मध्य विचार, ज्ञान व कर्म का जो चक्र है वह सृष्टि है संसार है, जीवन है |
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