गुरुवार, 27 मार्च 2014

ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ ...भाव अरपन बारह....कुण्डली छंद ....डा श्याम गुप्त ...

ब्रज बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...
              

                     मेरे नवीनतम प्रकाशित  ब्रजभाषा काव्य संग्रह ..." ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ  गीत, ग़ज़ल, पद, दोहे, घनाक्षरी, सवैया, श्याम -सवैया, पंचक सवैया, छप्पय, कुण्डलियाँ, अगीत, नवगीत आदि  मेरे  ब्लॉग .." हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान " ( http://hindihindoohindustaan.blogspot.com ) पर क्रमिक रूप में प्रकाशित की जायंगी ... .... 
        कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का संग्रह )
         रचयिता ---डा श्याम गुप्त 
                     ---   सुषमा गुप्ता 
प्रस्तुत है .....भाव अरपन ..बारह ...कुण्डली छंद .....से कुण्डलियाँ....

अपनी  जो आलोचना सुने नहीं चित लाय ,
शान्ति भंग चित की करे श्याम रोस आजाय |
श्याम रोस आजाय,वो अभिमानी अज्ञानी ,
सुने शांत चित लाय, वही सज्जन शुचि  ज्ञानी |
श्याम जो चाहे हो सुन्दर शिव रचना अपनी ,
सदा सांत चित ले सुने आलोचना अपनी ||

 मर्यादा पालन करे, नीति विरुद्ध न होय,
सब विषयन  पर करि सकै, तर्क जुगति जो कोय |
थोड़ी कही  समझ ले बात तर्क से युक्त,
विनयी भाव सदा रहै , अहंकार ते मुक्त |
कहें श्याम सब जानिकें यही समझता होय ,
अभी बहुत है जानिबौ, बुद्धिमान जग सोय ||


             ---क्रमश ...भाव अरपन--तेरह ..अगली पोस्ट में......



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