ब्रज
बांसुरी" की रचनाएँ .......डा श्याम गुप्त ...
मेरे नवीनतम प्रकाशित ब्रजभाषा
काव्य संग्रह ..."
ब्रज बांसुरी " ...की ब्रजभाषा में रचनाएँ
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प्रकाशित की जायंगी ... ....
कृति--- ब्रज बांसुरी ( ब्रज भाषा में विभिन्न काव्यविधाओं की रचनाओं का
संग्रह )
रचयिता ---डा श्याम गुप्त
--- सुषमा गुप्ता
प्रस्तुत है .....भाव अरपन ..बारह ...कुण्डली छंद .....से कुण्डलियाँ....
अपनी जो आलोचना सुने नहीं चित लाय ,
शान्ति भंग चित की करे श्याम रोस आजाय |
श्याम रोस आजाय,वो अभिमानी अज्ञानी ,
सुने शांत चित लाय, वही सज्जन शुचि ज्ञानी |
श्याम जो चाहे हो सुन्दर शिव रचना अपनी ,
सदा सांत चित ले सुने आलोचना अपनी ||
मर्यादा पालन करे, नीति विरुद्ध न होय,
सब विषयन पर करि सकै, तर्क जुगति जो कोय |
थोड़ी कही समझ ले बात तर्क से युक्त,
विनयी भाव सदा रहै , अहंकार ते मुक्त |
कहें श्याम सब जानिकें यही समझता होय ,
अभी बहुत है जानिबौ, बुद्धिमान जग सोय ||
---क्रमश ...भाव अरपन--तेरह ..अगली पोस्ट में......
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