फागुन की आयी डोली कि आज होली है |
रंग उडाती घूमे टोली कि आज होली है |
रंग बिखराए थे सब ओर ही फिजाओं ने,
फगुनाई पवन बोली कि आज होली है |
ढोलक की थाप पर थिरकते थे मस्त लोग,
भीगे तन मन लगी रोली कि आज होली है |
उड़ता था हवाओं में अबीर गुलाल का नशा,
सकुचाए कसी चोली कि आज होली है |
बौराई सी घूमे वो नई नवेली दुल्हन ,
घर भर को चढी ठिठोली कि आज होली है |
ख्यालों में उनके खोये थे हम तो इस कदर,
कानों हवा न डोली कि आज होली है |
चुपके से आके बोले, रंग लीजिये हुज़ूर,
मिसरी सी कानों घोली कि आज होली है |
इतरा के उसने मल दिया मुख पर गुलाल श्याम,
तन मन खिली रंगोली कि आज होली है ||
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